Kisan Sammanidhi i.e. the MNREGA of farmers
किसान सम्माननिधि को मनरेगा में ही माना जाये
किसान सम्माननिधि यानि किसानों का मनरेगा
मनरेगा में हो रहे भ्रष्टाचारों पर लगेगी लगाम
उमरिया :- सन् 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने के लिए प्रधानमंत्री प्रतिबद्ध दिखाई देते हैं। इसी ओर कदम बढाते हुए सीमान्त किसानों को साल में 6 हजार दिये जा रहे हैं। किसानों को मिलने वाली इस सम्मान निधि के खिलाफ कई सांसद है। इसके दूसरी ओर विपक्ष विषेषरूप कांग्रेस पार्टी वर्तमान बजट में मनरेगा बजट में कटौती की विरोध भी कर रही है। लेकिन सवाल यह है जब विपक्ष मनरेगा के बजट कटौती का विरोध कर रही है, वहीं किसानों को मिलने वाली सम्मान निधि का भी विरोध कर रही है। इससे उनके विरोधाभाष का ही पता चलता है। जागरूक नागरिकों ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए लगातार यह मांग कर रहे थे, कि किसानों को सीधे ही मनरेगा से जोडा जाये। केन्द्र सरकार की ओर से मिलने वाली किसान सम्मान निधि को भी इसी तारतम्य में ही देखा जाना चाहिये। यही माना जाना चाहिये कि केन्द्र सरकार ने मनरेगा बजट में कोई कटौती नहीं बल्कि मनरेगा के बजट को बढाया ही है।
किसानों को सीधे मनरेगा से जोडने की होती रही है मांग :-
किसानों को अन्नदाता के साथ जुआरी भी कहा जाता है। प्रकृति की विषम परिस्थितियों से जूझते हुए जब किसान अपने खेतों में फसलों को उगता है। तब वही जानता है कि उसे किस परेषानी का सामना करना पडता है। बढती हुई मंहगाई के दौर में किसानों को बढती हुई मजदूरी की समस्या से भी दो -दो हाथ करने होते हैं। ऐसे में उनकी पूरी पूंजी तो निंदाई- गुडाई, फसल कटाई, बोवनी और खेतों की जुताई में ही चली जाती है। फसल बोने से लेकर कटाई तक किसानों की लगने वाली लागत को जोडा जाये तो उसमें 50 प्रतिषत तो उनका मजदूरी में ही खर्च होता है। एक मजदूर को मिलने वाली राषि केवल 250 रूपये ही जोडा जाये तो किसान सम्मान निधि राषि 6000 से केवल 24 दिनों की ही मजदूरी दे सकता है। लेकिन इतनी भी राषि से किसानों को अपना जीवन स्तर सुधारने काफी मदद मिल सकेगी।
केसीएम से मनरेगा में लगे भ्रष्टाचार के आरोपों लगेगा अंकुष :-
मनरेगा का प्रमुख उद्देष्य भी देष के सभी जरूरतमंद नागरिकों को कम से कम 100 दिन का रोजगार मिलना ही है। लेकिन पूरे देष में मनरेगा के भ्रष्टाचारों की लम्बी श्रृंखला है। जिसमे ना जाने कितने ही मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है। साथ ही फर्जी मस्टर रोल के द्वारा मनरेगा राषि का बंदर बांट किया गया है। ऐसे में यदि किसान सम्मान निधि के माध्यम से किसानें को सीधे ही उनके खाते में राषि दी जा रही है, उसका केवल स्वागत ही होना चाहिये। इस राषि के द्वारा कोई भी किसान मजदूरों से कार्य करवा के अपना और देष के विकास में अपना सहयोग प्रदान करवा सकता है। इसके साथ ही मनरेगा के कार्यो में होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने में भी अपना सहयोग प्रदान कर सकता है।
किसान सम्मान निधि यानि मनरेगा बजट में बढोत्तरी
पूरे देष में मनरेगा के लिए करीब 64000 हजार करोड रूपये आंवटित किये गये थे। जिसमें इस साल कुछ कटौती करते हुए लगभग 48000 हजार करोड रूपये किये गये हैं। वहीं किसान सम्मान निधि के 75000 करोड रूपयों को भी मनरेगा बजट में जोड के देखा जाये तो इससे कहीं भी मनरेगा में कटौती नजर नहीं आएगी। इसके अलावा किसानों को जहां लाभ मिलेगा, वहीं मनरेगा में हो रहे भ्रष्टाचारों पर अकुंष लगता हुआ भी दिखाई देगा।
कटौती के स्थान पर हमेषा मिलनी चाहिये किसान सम्मान निधि
लेकिन किसान सम्मान निधि प्रथम किस्त के बाद आधे किसानों को ही दूसरी किस्त मिली वहीं तीसरी किस्त तो केवल 25 प्रतिषत किसानों को ही मिल सकी है। इस किसान सम्मान निधि को सीधे ही किसान के खाते में पहुचाने की जो योजना है, वह तभी कारगार सिद्ध होगी जब लगातार और समय से सभी किसानें के खाते में यह राषि पहुंचती रहे।
Its a great idea
ReplyDeleteAnd we should implement