Stone Crushers Neglected
लगातार अवैध रेत परिवहन वाहनों पर हो रही कार्रवाई
स्टोन क्रेषर हो रहे नजरअंदाज
एनजीटी के नियमों को रखते हैं ताकपर
फोटो:-
उमरिया:- जिले में अवैध रेत भंडारण को लेकर जिस प्रकार से लगातार कार्रवाई की जा रही है, उससे अवैध रेत परिवहन करने वालों में हडकम्प की स्थिति बनी हुई है। दूसरी तरफ रेत परिवहन के कार्यों में जुटे हुए लोंगों का कहना है कि क्या जिले में अवैध रेत परिवहन का ही व्यापार हो रहा है। जिले के आला अधिकारी अवैध स्टोन क्रेषरों और उसके माध्यम से हो रहे उत्खनन पर उनकी इतनी चुप्पी क्यों साधे रखते हैं। जिस प्रकार से लगातार अवैध रेत परिवहन करने वालों पर कार्रवाई की जा रही उसे देखते हुए रेत परिवहन करने वालों का यह सवाल वाजिब लगता है। जिले के तमाम राजस्व प्रषासनिक अधिकारियों से लेकर जिले का पुलिस बल द्वारा भी लगातार अवैध रेत परिवहन करने वाले ट्रेक्टरों पर कार्रवाई की जा रही है। लेकिन विगत दो माह में एक भी ऐसा प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है। जहां अवैध गिट्टी परिवहन करने वाले वाहनों पर और अवैध स्टोन क्रेषरों पर कार्रवाई की गयी हो। रेत परिवहन करने वालों पर ही लगातार कार्रवाई होती रहेगी तो प्रधानमंत्री आवास और शौचालय निर्माण के लिए रेत कहां से मिलेगी । आवास और शौचालय निर्माण के लिए रेत का कोई व्यापक प्रबन्ध नहीं किये गये हैं। ऐसे में केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को कैसे साकार किया जा सकेगा। लगातार रेत परिवहन करने वाले वाहनों की धर पकड करने से हो रहे नुकसान को देखते हुए कुछ ट्रैक्टर मालिकों ने कलेक्टर से षिकायत की है। किस प्रकार से राजस्व अधिकारी उनके वाहनों को जब वे नदी में धोने का कार्य भी कर रहे हों, उन पर कार्रवाई करते हैं। इन वाहनों को धरपकड करते हुए खनिज विभाग और थानों में रखा जा रहा है। वहीं अवैध स्टोन क्रेषरों पर कभी कोई कार्रवाई की खबर और जानकारी मिलती ही नहीं हैं।
अवैध स्टोन क्रेषर हो रहे संचालित:- जिले में लगभग 43 स्टोन क्रेषरों का संचालन होना खनिज विभाग के द्वारा होना माना जा रहा है। आरटीआई से सूचना के अधिकार के तहत खनिज विभाग से जानकारी प्राप्त करना जिले के अन्य विभागों की तरह ही नामुमकिन है। जो जानकारी खनिज विभाग के द्वारा मौखिक दी जाती है, उसे ही बतलाया जा रहा है। इनमे से अधिकंाष स्टोन क्रेषरों के पास में पर्यावरण विभाग की एनओसी नहीं है। जिला मुख्यालय के समीप ही लगभग डेढ दर्जन से अधिक स्टोन क्रेषरों का संचालन हो रहा है। इन स्टोन क्रेषरों की अवैध गिट्टियों का इस्तेमाल धडल्ले से जिले के तमाम विभागों द्वारा किया जा रहा है। ये अवैध स्टोन क्रेषरों के द्वारा इसके बदले में जिला प्रषासन को समय -समय पर ओबलाइज किया जाता है। सभी जानते हैं कि जब भी राजनेताओं का आगमन होता है, उनके लिए जिस मैदान को समतल और साफ सुथरा करना पडता है, वो किनके द्वारा होता है।
हाल ही में हुआ सगरा तालाब का गहरीकरण:- शहर के सबसे प्राचीन और तपोभूमि के रूप में प्रसिद्ध सगरा तालाब का गहरी करण का कार्य किया गया है। जनभागीदारी से हुए इस तालाब में जेसीबी मषीनों का इस्तेमाल किया गया, जिससे सगरा तालाब का ऐतिहासिक गहरीकरण हो सका। महीनों तक चले इस गहरीकरण के कार्य में जेसीबी मषीनों का उपयोग हुआ वो सब जनभागीदारी के नाम पर ही किया गया। ऐसे में रेत परिवहन करने गरीब टैªक्टर मालिकों का कहना है कि वे भी प्रषासन के कार्येां में सहयोग कर सकते है, फिर उन्हीं पर ही लगातार क्यों कार्रवाई की जाती है। प्रषासन चाहेगा तो वे भी अपने -अपने स्तर पर जनभागीदारी में सहयोग कर सकते हैं। गौरतलब है कि बढती हुई बेरोजगारी के कारण सैंकडों बैराजगार बैंकों से लोन लेकर ट्रैक्टरों का संचालन करते हुए अपने और परिवार की जीवन यापन कर रहे हैं। पूरे जिले में लगभग 2 हजार लोगों का सीधा या अपरोक्ष रूप से रेत परिवहन करने वाले टैªक्टर मालिकों से सम्बन्ध है। इनका सीधे तौर पर कहना है कि यदि शासन स्तर पर ही रेत की खदानों की नीलामी कर दी जाये तो उन्हें अवैध परिवहन नहीं करना पडेगा, और उन्हें भी अवैध रूप से व्यापार करने की जरूरत नहीं पडेगी।
स्टोन क्रेषर हो रहे नजरअंदाज
एनजीटी के नियमों को रखते हैं ताकपर
फोटो:-
उमरिया:- जिले में अवैध रेत भंडारण को लेकर जिस प्रकार से लगातार कार्रवाई की जा रही है, उससे अवैध रेत परिवहन करने वालों में हडकम्प की स्थिति बनी हुई है। दूसरी तरफ रेत परिवहन के कार्यों में जुटे हुए लोंगों का कहना है कि क्या जिले में अवैध रेत परिवहन का ही व्यापार हो रहा है। जिले के आला अधिकारी अवैध स्टोन क्रेषरों और उसके माध्यम से हो रहे उत्खनन पर उनकी इतनी चुप्पी क्यों साधे रखते हैं। जिस प्रकार से लगातार अवैध रेत परिवहन करने वालों पर कार्रवाई की जा रही उसे देखते हुए रेत परिवहन करने वालों का यह सवाल वाजिब लगता है। जिले के तमाम राजस्व प्रषासनिक अधिकारियों से लेकर जिले का पुलिस बल द्वारा भी लगातार अवैध रेत परिवहन करने वाले ट्रेक्टरों पर कार्रवाई की जा रही है। लेकिन विगत दो माह में एक भी ऐसा प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है। जहां अवैध गिट्टी परिवहन करने वाले वाहनों पर और अवैध स्टोन क्रेषरों पर कार्रवाई की गयी हो। रेत परिवहन करने वालों पर ही लगातार कार्रवाई होती रहेगी तो प्रधानमंत्री आवास और शौचालय निर्माण के लिए रेत कहां से मिलेगी । आवास और शौचालय निर्माण के लिए रेत का कोई व्यापक प्रबन्ध नहीं किये गये हैं। ऐसे में केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को कैसे साकार किया जा सकेगा। लगातार रेत परिवहन करने वाले वाहनों की धर पकड करने से हो रहे नुकसान को देखते हुए कुछ ट्रैक्टर मालिकों ने कलेक्टर से षिकायत की है। किस प्रकार से राजस्व अधिकारी उनके वाहनों को जब वे नदी में धोने का कार्य भी कर रहे हों, उन पर कार्रवाई करते हैं। इन वाहनों को धरपकड करते हुए खनिज विभाग और थानों में रखा जा रहा है। वहीं अवैध स्टोन क्रेषरों पर कभी कोई कार्रवाई की खबर और जानकारी मिलती ही नहीं हैं।
अवैध स्टोन क्रेषर हो रहे संचालित:- जिले में लगभग 43 स्टोन क्रेषरों का संचालन होना खनिज विभाग के द्वारा होना माना जा रहा है। आरटीआई से सूचना के अधिकार के तहत खनिज विभाग से जानकारी प्राप्त करना जिले के अन्य विभागों की तरह ही नामुमकिन है। जो जानकारी खनिज विभाग के द्वारा मौखिक दी जाती है, उसे ही बतलाया जा रहा है। इनमे से अधिकंाष स्टोन क्रेषरों के पास में पर्यावरण विभाग की एनओसी नहीं है। जिला मुख्यालय के समीप ही लगभग डेढ दर्जन से अधिक स्टोन क्रेषरों का संचालन हो रहा है। इन स्टोन क्रेषरों की अवैध गिट्टियों का इस्तेमाल धडल्ले से जिले के तमाम विभागों द्वारा किया जा रहा है। ये अवैध स्टोन क्रेषरों के द्वारा इसके बदले में जिला प्रषासन को समय -समय पर ओबलाइज किया जाता है। सभी जानते हैं कि जब भी राजनेताओं का आगमन होता है, उनके लिए जिस मैदान को समतल और साफ सुथरा करना पडता है, वो किनके द्वारा होता है।
हाल ही में हुआ सगरा तालाब का गहरीकरण:- शहर के सबसे प्राचीन और तपोभूमि के रूप में प्रसिद्ध सगरा तालाब का गहरी करण का कार्य किया गया है। जनभागीदारी से हुए इस तालाब में जेसीबी मषीनों का इस्तेमाल किया गया, जिससे सगरा तालाब का ऐतिहासिक गहरीकरण हो सका। महीनों तक चले इस गहरीकरण के कार्य में जेसीबी मषीनों का उपयोग हुआ वो सब जनभागीदारी के नाम पर ही किया गया। ऐसे में रेत परिवहन करने गरीब टैªक्टर मालिकों का कहना है कि वे भी प्रषासन के कार्येां में सहयोग कर सकते है, फिर उन्हीं पर ही लगातार क्यों कार्रवाई की जाती है। प्रषासन चाहेगा तो वे भी अपने -अपने स्तर पर जनभागीदारी में सहयोग कर सकते हैं। गौरतलब है कि बढती हुई बेरोजगारी के कारण सैंकडों बैराजगार बैंकों से लोन लेकर ट्रैक्टरों का संचालन करते हुए अपने और परिवार की जीवन यापन कर रहे हैं। पूरे जिले में लगभग 2 हजार लोगों का सीधा या अपरोक्ष रूप से रेत परिवहन करने वाले टैªक्टर मालिकों से सम्बन्ध है। इनका सीधे तौर पर कहना है कि यदि शासन स्तर पर ही रेत की खदानों की नीलामी कर दी जाये तो उन्हें अवैध परिवहन नहीं करना पडेगा, और उन्हें भी अवैध रूप से व्यापार करने की जरूरत नहीं पडेगी।
Nice
ReplyDeleteStone crasher ko najar andaz kyo Kiya ja raha hai
ReplyDeleteadministration should also take action on stone crushers..
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