Headmaster at DPC post
तो ऐसे होगा षिक्षा में सुधार !
डीपीसी पद पर हैडमास्टर
छा रहा प्राचार्यों में अवसाद
उमरिया:- विकास का मूल आधार षिक्षा है। षिक्षा का मूल आधार प्राथमिक और माध्यमिक षिक्षा। जिले मिडिल स्कूल तक की षिक्षा विगत 6 सालों से चरमरा सी गयी है। डीपीसी पद पर बैठने वाले के प्रति जिले के षिक्षकों की उदासीनता और उदासीनता का मूल कारण डीपीसी की कार्यषैली। लगातार षिकायतों के बाद ही पांच साल तक डीपीसी पद पर जमे बैठे महेन्द्र यादव का स्थानान्तरण हो सका। स्थानान्तरण के बाद स्थिति आसमान से गिरे खजूर में अटके वाली सी हो गयी। नियमतः डीपीसी के पद पर किसी प्राचार्य की नियुक्ति की जाती है। लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था के नाम पर हेडमास्टर की नियुक्ति कर दी गयी है। इससे जिले के अधिकांष षिक्षकों में क्षोभ और वरिष्ठ प्राचार्यों के मन में कुंठा भर रही है। वरिष्ठ प्राचार्याें की अवहेलना से षिक्षकों के मन में यह भाव आ रहा है कि उन्हें भी अलग प्रकार की कार्यषैली को अपनाना चाहिये जिससे वे भी किसी पद पर आसानी से पहुंच सकें। दरअसल उमरिया जिले में वैकल्पिक व्यवस्था के नाम पर डीपीसी पद पर प्रतिनियुक्ति पर आये हुए हैडमास्टर सुषील मिश्रा को नियुक्त किया गया है। सुषील मिश्रा के चार साल की प्रतिनियुक्ति को पूरे हुए भी चार साल हो चुके है। इसका मतलब वे उन्हें आठ साल से ज्यादा प्रतिनियुक्ति के हो चुके है।ं राज्य षिक्षा केन्द्र के अनुसार प्रतिनियुक्ति पूरी हो जाने पर उन्हें मूल विभाग में जाना चाहिये लेकिन उन्हें डीपीसी पद पर बिठा दिया गया है। इसी कारण से वरिष्ठ प्राचार्यों के मनों में कुंठा और अवसाद की स्थिति बन रही है। वरिष्ठ प्राचार्य राज्य षिक्षा केन्द्र के उस आदेष का इन्तजार कर रहे हैं, जिसमें डीपीसी पद को समाप्त करते हुए इस विभाग को जिला षिक्षा अधिकारी कार्यालय में संलिप्त कर दिया जायेगा। वहीं षिक्षाविदों के अनुसार इस प्रकार की व्यवस्था को सुधारने के लिए दषकों बीत चुके हैं, फिलहाल इस स्थिति को आने में और देरी लगने की संभावना है। ऐसे में तब तक वरिष्ठ प्राचार्येां को मनमाफिक स्थिति नहीं होने के बावजूद स्वीकार करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। उन्हें इसी प्रकार कुढते हुए ही परिस्थिति को स्वीकार करना पडेगा। गौरतलब है कि षिक्षाा व्यवस्था में ठोस प्रषासनिक सुधार नहीं होने के कारण विगत कई सालों से षिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है। विषेष रूप से माध्यमिक षिक्षा का स्तर। दूर दराज गांवों में षिक्षा के स्तर इस प्रकार का है कई बच्चे दो अट्ठे आठ तक बोलते हुए नजर आते हैं। वरिष्ठ प्राचार्येां और षिक्षकों की इसी प्रकार से अवहेलना होती रहेगी तो इसी स्थिति में सुधार आने में बहुत देर लगेगी।
सदानन्द जोषी
our indian education system poor
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