Malaria officer's whole family struggling with work ethics

मलेरिया अधिकारी की कार्यषैली से त्रस्त पूरा परिवार
दैनिक वेतन भोगी को कर्मचारी 8 माह से वेतन नहंीं मिला
फोटो:-


उमरिया:- जिला चिकित्सालय में पदस्थ मलेरिया अधिकारी के मनमाने पूर्ण रवैये के कारण दैनिक वेतन भोगी परिवार पिछले आठ महीने से परेषान हो रहा है। हारकर उसने कमिष्नर के यहां अपनी फरियाद की। कमिष्नर ने तत्काल उसके आठ महीने के वेतन के भुगतान के निर्देष दिये। इसके बावजूद भी अभी तक उसके वेतन का भुगतान नहीं हो सका। जिसके कारण उसके पूरे परिवार को परेषान होना पड रहा है। बच्चों की फीस और मकान मालिक का किराया नहीं मिल पाने के कारण उसकी यह परेषानी और बढती जा रही है। मलेरिया अधिकारी दुर्गाप्रसाद पटेल ने दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी अरूण पाठक की तनख्वाह को पिछले आठ महीने से नहीं निकाल रहे हैं। जिसके कारण उसके परिवार को परेषानी का सामना करना पड रहा है। सीएमएचओ राजेष श्रीवास्तव भी इस समस्या में अधिकारी के मनमाने पूर्ण व्यवहार को बदलने में असहाय महसूस कर रहे हैं। उनके अनुसार डीपी पटेल के पास स्वतंत्ररूप से मलेरिया विभाग है, वे ही किसी कर्मचारी के बारे में कोई निर्णय ले सकते हैं। इसीमें पीडित कर्मचारी की पत्नी रेखा पाठक ने तो यहां तक कह डाला है कि यदि उसके परिवार के साथ कुछ भी उंचा नीचा हो जाता है। तो इसके लिए सीधे -सीधे मलेरिया अधिकारी ही जिम्मेदार होंगे।
आयुष्मान भारत में नहीं पहुंच रहे मरीज:-  उक्त आरोपी अधिकारी की कार्यषैली नाच ना जाने आंगन टेढा वाली जैसी है। अपने कार्यों को सही तरीके से नहीं कर पाने की खीज और गुस्से का ईजहार अपने मातहत कर्मचारियों पर करते हैं। डीपी पटेल आयुष्मान भारत के नोडल अधिकारी है। विगत 7 दिनों से अभी तक आयुष्मान भारत में एक भी मरीज का रजिस्ट्रेषन नहीं हो सका है। राष्ट्रीय फायलेरिया उन्मूलन अभियान की धज्जियां भी इन्हीं अधिकारी के द्वारा उडाई गयी है। फायलेरिया की दवा वितरण के अभियान में 9 लाख के बजट को खर्च करने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में एलबेन्डोजोल और डीईसी दवा का वितरण तक नहीं हो सका। इसके लिए आरटीआई कार्यकर्ता श्रवण सोनकर ने जानकारी प्राप्त करनी चाही थी। लेकिन द्वितीय अपील के बाद भी उक्त अधिकारी के द्वारा जानकारी नहीं दी जा रही है। जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उक्त अधिकारी ने वास्तव में कुछ ना कुछ घालमेल किया है। इसी बाबत सीएम हैल्पलाईन में षिकायत भी की गयी थी। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उन षिकायतों को तत्कालीन षिकायत शाखा और सीएम हैल्पलाईन देखने वाले निलम्बित संलग्नीकरण कर्मचारी राजेन्द्र तिवारी के माध्यम से दबा दिया जाता था। इसी कारण से उनके द्वारा किये गये कृत्यों की जांच नहीं हो पा रही थी। अब हालात में सुधार होने की संभावना दिखाई दे रही है।
इनका कहना है:- मलेरिया विभाग में स्वतंत्र रूप से मलेरिया अधिकारी को पदस्थ किया गया है। विभाग के अन्दर सभी प्रकार के निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। इसी कारण उनके द्वारा इस प्रकार के कार्य किये जा रहे हैं।
डा राजेष श्रीवास्तव मुख्य स्वास्थय और सिविल सर्जन अधिकारी उमरिया 

Comments

  1. दिन ब दिन देश के हर शहर में चिकित्सा व्यवस्था से जुड़ी शिकायतें बढ़ती जा रही है जिसमें हमारे उमरिया जिला चिकित्सालय का नाम सबसे ऊपर की श्रेणी में आने लगा है कभी यहां डॉक्टर रिशवत लेते पकड़े जाते है तो कभी मरीज़ डॉक्टर का इंतेज़ार करते हुए ही अपनी अंतिम सांसे ले लेते है ...पर राजनीतिक जुमले देने वालो को और उनके नौकरशाहों को जरा भी फर्क नहीं पड़ता है उनके पास शिकायतें उसी भांति हो जाती है जिस प्रकार एक बन्द पड़े घर में मकड़ी का जाले ...आर टी आई जो एक अधिकार है आम आदमी का उसे भी ये बेबाक अंदाज़ में नज़रंदाज़ करते है।
    अब बात करे अगर आयुष्मान भारत की जो एक महत्वाकांक्षी योजना हमारे प्रधानमंत्री द्वारा बताई जा रही है और देश के जरूरतमंद लोगों को लाभान्वित करने का उद्देश्य है ...सिर्फ उद्देश्य ही बन कर रह गया है इस पर अमल करना भूल गए है शायद अपने चुनावी प्रचार प्रसार में व्यस्त होकर।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular Posts