Extension of thermal power house Can be the election issue

ताप विद्युत गृह का विस्तारण अधर में
बन सकता है, चुनावी मुद्दा
चुनावी मुद्दा भुनाने की फिराक में बागी प्रत्याषी
 जिले में हो रहा है पलायन, बढ रही बैराजगारी
फोटो:- बिरसिंह पुर स्थित ताप विद्युत गृह
उमरिया:-षुरू हुई चुनावी समर की डगर के साथ आचार संहिता लगे हुए महीने भर से ज्यादा बीत चुके हैं। लेकिन राजनैतिक दलों के द्वारा उमरिया के विकास के लिए कोई भी मुद्दा गंुजायमान नहीं हो सका  है। जबकि बढती हुई बेरोजगारी के साथ पलायन ऐसे ज्वलंत मुद्दे जिसका हल खोजा जाना राजधर्म होना चाहिये था। इस ओर सभी राजनैतिक दल आंख मूंध कर बैठे हुए हैं और अपनी ढपली और अपना राग गा रहे हैं। विकास की बातें चारों ओर हो रही हैं ,लेकिन विकल्प की तलाष करने की कोषिष नहीं की जा रही हैं। ऐसे में जब जागरूक नागरिक ये सवाल उठाते हैं कि दषकों पहले हुई घोषणा जिससे जिले में बेरोजगारी के साथ पलायन भी रूक सकता है। उसे ही पूरा क्यों नहीं किया जा रहा है। इस सार्थक सवाल पर राजनैतिक दलों के द्वारा ओढी गयी चुप्पी, आम आदमी को खल रही है। आम नागरिकों की माने तो इस बार का सबसे बडा चुनावी मुद्दा जिले में डेढ दषक से भी ज्यादा पहले की गयी ताप विद्युत गृह विस्तारण की वो घोषणा है।  बिरसिंह पुर पाली स्थित ताप विद्युत गृह की विस्तारण की ईकाई की घोषणा तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने सन् 2002 में यहीं पर आकर की थी। लेकिन प्रषासन और राजनीति की चूक के चलते वो यह घोषणा केवल घोषणा ही बन कर रह गयी है। जिसके कारण पूरे जिले से बढती हुई बैराजगारी के साथ लगातार पलायन हो रहा है। ऐसे में वंषवाद की बेल की खिलाफ अपना बिगुल फूंकने वाले भाजपा के बागी प्रत्याषी सतीलाल बैगा के द्वारा इस मुद्दे को जोर -षोर से उछालने की फिराक में है। उनके अनुसार बैराजगारी और पलायन इस क्षेत्र को सबसे बडा मुद्दा है। इसे दूर करने की ओर अपने कदम बढाने की जरूरत हैं।
विस्तारण के लिए हुई थी घोषणा :- सन् 1984 में ही जिले में बिरसिंह पुर पाली स्थित विद्युत ताप गृह के हजारों एकड जमीन का अधिग्रहण की जा चुकी है। फिलहाल इस स्थान में प्रदेष के सबसे बडा विद्युत ताप गृहेां में से एक यहां संचालित है। इस विद्युत गृह के समीप और चारों सबसे अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर होने के कारण तत्कालीन उपप्रधानमंत्री आडवाणी ने इसके विस्तारण की घेाषणा की थी। रेलवे लाइन , चारों ओर कोयला खदानों के साथ कलकल बहती हुई जोहिला नदी जिसमें बारहों महीने पानी बहता रहता है। ये सब आधारभूत संरचनाऐं जिनके आधार पर कोई भी ताप विद्युत गृह आसानी से बन सकता है, वो उपलब्ध हैं। लेकिन घोषणाओं के बावजूद केवल घोषणा बनकर ही रह जाना अपने आप में एक राजनीतिक मुद्दा है , जिसे उछालने की जरूरत है। जिले की राजनीतिक शून्यता की स्थिति होने के कारण अभी फिलहाल केवल बागी प्रत्याषियों के द्वारा ही इस मुद्दे को उछाला जा रहा है।
घोषणा बनी घोषणा, बनेगा चुनावी मुद्दा:- डेढ दषक पहले हुई ताप विद्युत गृह के विस्तारण की योजना केवल घोषणा बन कर रह जाने से स्थानीय जनता में आक्रोष की स्थिति पनप रही है। यदि हजारों करोडों की लागत वाली इस विस्तारण योजना का क्रियान्वयन हो जाता। तो हजारों बैराजगारों को रोजगार मिलता और यहां से हो रहे पलायन पर रोक लगती। नया विस्तारण की शुरूआत तो यहां हो नहीं सकी।   लेकिन तापविद्युत गृह की पांचवी ईकाई की घोषणा मुख्यमंत्री ने सन् 2007 में की थी , वो भी अभी अधर में ही।
हो चुका है सर्वे:-स्थानीय विधायक के गृह ग्राम के नजदीक पौंडी में ही 125 एकड जमीन का अधिग्रहण विद्युत गृह की नयी इकाई के लिए किया जा चुका है। जब घोषणा केवल घोषणा बन कर रह जाती है, तो आम जनता के सामने आक्रोष और परेषानी के अलावा कुछ नहीं रह जाता है। इसी कारण इस क्षेत्र से लगातार बैरोजगारी बढने के साथ पलायन हो रहा है। बिरसिंह पुर ताप विद्युत गृह की विस्तार इकाई की घोषणा के साथ ही मेसर्स डिजिन कम्पनी ने अपना सर्वे का कार्य सालों पहले ही किया जा चुका है। कम्पनी के द्वारा किये गये सर्वें रिपोर्ट सालों पहले म प्र शासन के उर्जा विभाग में 660 मेगावाट ईकाई के लिए सौंपा जा चुका है। सभी प्रारम्भिक परिस्थितियों को पार पाने के बाद भी अभी तक इस  विस्तारण की ओर ध्यान नहीं दिया जाना क्षेत्र की जनता के साथ नाइंसाफी है। इसमें तत्काल बदलाव की जरूरत है। क्षेत्र के विकास के लिए ताप विद्युत गृह के विस्तारण की घोषणा को अमलीजामा पहनाया जाना जरूरी है।


Comments

  1. राजनीतिक पार्टियों का मुद्दा तो किसी भी तरह चुनाव में जीत हासिल करना है...देखते है आगामी सरकार विकास के मुद्दों पे खरी उतरती है या नहीं।

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