How much work will be the maze of the opposition....!!!!!!!! Look at an assembly like Arjun
कितना कारगार होगा विपक्ष का चक्रव्यूह !
अर्जुन की तरह एक विधानसभा पर निगाह
उमरिया:- विगत तीन विधानसभा चुनावों से सत्ता रूढ दल अपने अधिकांष विपक्षी प्रतिद्वन्दियों की जमानत जब्त कराते हुए विजयी हासिल कर रहा। इस बात से परेषान विपक्ष खासकर प्रमुख विपक्षी दल ने एक चक्रव्यूह की रचना की है। इसके लिए उन्होंने एक खास रणनीति पर कार्य करना शुरू किया है। जिले में दो विधानसभा है, इनमें मिल रही लगातार हार से परेषान विपक्ष अपनी इस रणनीति को अमल में लाने का पुरजोर प्रयास कर रहा है। दोनों विधानसभा में मिल रही लगातार हार विपक्ष को इतना खल रही है कि इसके लिए उन्होनंे अपनी रणनीति के तहत एक ही विधानसभा पर फोकस करना ज्यादा मुनासिब समझा है। अपनी चक्रव्यू रचना के अनुसार एक साथ दोनों विधानसभा में अपनी आधी -आधी ताकत झोंकने के स्थान पर एक ही विधानसभा पर पूरी ताकत लगाया जाये। हांलाकि विपक्ष के नेता अपनी रणनीति का पूरा खुलासा नहीं कर रहे हैं। कार्यकर्ता भी अभी ये बताने को तैयार नहीं हो रहे हैं कि किस विधानसभा को टारगेट किया जा रहा है। कार्यकर्ताओं के अनुसार उन्हें उपर से निर्देष मिले हैं, कि कैसे भी हो इस बार विंध्य क्षेत्र के इस जिले से कम से कम एक विधानसभा को तो अपने कब्जे में करना ही है। विपक्ष की इस रणनीति से सत्तारूढ दल फिलहाल बहुत ज्यादा परेषान दिखाई नहीं दे रहा है। आज हो रहे नामाकंन वापसी के दिन पता चलेगा कि कितने प्रत्याषी मैदान मंे लोहा लेने के लिए खडे रहते हैं। कितने रणछोडदास बनते हुए अपने घर वापिस जायेगें।
जिले में हैं दो विधानसभा:- जिले में मानपुर और बांधवगढ दो -दो विधानसभा हैं। विधानसभा 2003 , 2008, 2013 में हुए चुनावों में सत्तारूढ दल ने विजय हासिल की है। सत्तारूढ दल के वोटों का प्रतिषत कभी भी 48 प्रतिषत से उपर नहीं गया। इन सभी चुनावों में मुख्य विपक्षी दल ही लगातार इनसे सीधी टक्कर लेता रहा है। विधानसभा चुनावों में अभी तक त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय संघर्ष नहीं हुआ है। ऐसे में विपक्षी दल यदि इस स्थिति से पार पाने के लिए कोई चक्रव्यूह की रचना करने की रणनीति बनाते हुए दिखते हैं, तो गलत नहीं हैं। लेकिन देखने वाले बात होगी कि वे अपनी इस रणनीति को कारगार बनाने के लिए क्या कदम उठाते हैं। सत्तारूढ दल इन बातों से बेपरवाह जरूर है। अपने जनहितकारी कल्याण कारी योजनाऐं जिनसे जनता को भला होता गया है, उस पर पूरा विष्वास है। क्षेत्र में लगातार सत्तारूढ दल ने विकास की राह को सुगम बनाने का प्रयास किया है। जब तक विपक्ष यह नहीं बताता है कि उनकी रणनीति के अनुसार किस विधानसभा को चिन्हित किया गया है, तब तक सत्तारूढ दल को परेषान होने की जरूरत भी नहीं हैं।
आज होगें नामांकन वापिस:- नवम्बर माह की 12 तारीख को नाम वापसी का आखरी दिन है। दोनेां ही राजनैतिक दल यह आषा कर रहे हैं, कि उनके बागी प्रत्याषी जरूर अपना नाम वापिस करेगें। राजनैतिक पंडितों के अनुसार कम से कम एक बागी प्रत्याषी के द्वारा तो नामांकन की वापसी जरूर होगी। उनका यह भविष्यवक्ता वाला ज्ञान कितना सही साबित होता है। अब जो राजनीतिक दल को अपने बागी से ज्यादा खतरा नजर आ रहा होगा, उतना ही उसे वापिस अपने पाले में लाने की कोषिष करेगा। वैसे कुल विभिन्न राजनैतिक दलों सहित दोनों विधानसभाओं में 27 अभ्यिर्थियों ने विधायक बनने के लिए अपने नामांकन दाखिल किये हैं। इनमें से कितनों का धीरज नामांकन वापसी के दिन ही समाप्त हो जाने वाला है, यह भी आज ही पता चल जायेगा।
अर्जुन की तरह एक विधानसभा पर निगाह
जिले में हैं दो विधानसभा:- जिले में मानपुर और बांधवगढ दो -दो विधानसभा हैं। विधानसभा 2003 , 2008, 2013 में हुए चुनावों में सत्तारूढ दल ने विजय हासिल की है। सत्तारूढ दल के वोटों का प्रतिषत कभी भी 48 प्रतिषत से उपर नहीं गया। इन सभी चुनावों में मुख्य विपक्षी दल ही लगातार इनसे सीधी टक्कर लेता रहा है। विधानसभा चुनावों में अभी तक त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय संघर्ष नहीं हुआ है। ऐसे में विपक्षी दल यदि इस स्थिति से पार पाने के लिए कोई चक्रव्यूह की रचना करने की रणनीति बनाते हुए दिखते हैं, तो गलत नहीं हैं। लेकिन देखने वाले बात होगी कि वे अपनी इस रणनीति को कारगार बनाने के लिए क्या कदम उठाते हैं। सत्तारूढ दल इन बातों से बेपरवाह जरूर है। अपने जनहितकारी कल्याण कारी योजनाऐं जिनसे जनता को भला होता गया है, उस पर पूरा विष्वास है। क्षेत्र में लगातार सत्तारूढ दल ने विकास की राह को सुगम बनाने का प्रयास किया है। जब तक विपक्ष यह नहीं बताता है कि उनकी रणनीति के अनुसार किस विधानसभा को चिन्हित किया गया है, तब तक सत्तारूढ दल को परेषान होने की जरूरत भी नहीं हैं।
आज होगें नामांकन वापिस:- नवम्बर माह की 12 तारीख को नाम वापसी का आखरी दिन है। दोनेां ही राजनैतिक दल यह आषा कर रहे हैं, कि उनके बागी प्रत्याषी जरूर अपना नाम वापिस करेगें। राजनैतिक पंडितों के अनुसार कम से कम एक बागी प्रत्याषी के द्वारा तो नामांकन की वापसी जरूर होगी। उनका यह भविष्यवक्ता वाला ज्ञान कितना सही साबित होता है। अब जो राजनीतिक दल को अपने बागी से ज्यादा खतरा नजर आ रहा होगा, उतना ही उसे वापिस अपने पाले में लाने की कोषिष करेगा। वैसे कुल विभिन्न राजनैतिक दलों सहित दोनों विधानसभाओं में 27 अभ्यिर्थियों ने विधायक बनने के लिए अपने नामांकन दाखिल किये हैं। इनमें से कितनों का धीरज नामांकन वापसी के दिन ही समाप्त हो जाने वाला है, यह भी आज ही पता चल जायेगा।
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete