यूनिक एम्पलाई कोड की हो रही जांच जांच टीम ही सवालों के घेरे में

यूनिक एम्पलाई कोड की हो रही जांच
जांच टीम ही सवालों के घेरे में

उमरिया:-  संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएंे म 0 प्र0 से जिला अस्पताल में सन् 2002 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों के यूनिक एम्पलाई कोड की सूक्ष्म जांच करने के आदेष प्राप्त हुए हैं। 1 जनवरी सन 2002 के बाद हुए भर्ती हुए समस्त कर्मचारी जिनका ग्रेड पेमेन्ट - 5400 से कम है। उन समस्त कर्मचारियों के यूनिक एम्पलाई कोड एवं उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया की सूक्ष्म जांच कराने के बाद प्राप्त हुए जांच प्रतिवेदन के आधार पर प्रमाणपत्र जारी किया जायेगा। उसी प्रमाणपत्र के आधार पर ही कर्मचारी को स्वास्थ्य सेवाओं में कार्य करने की अनुमति मिलेगी। दरअसल प्रदेष में दतिया जिले में स्थानान्तरण के बाद उक्त श्रेणी के पहुंचे कर्मचारियों के यूनिक एम्पलाई कोड की जांच करने पर ये खुलासा हुआ कि कुछ कर्मचारी निर्धारित भर्ती प्रक्रिया का उल्लघंन करते हुए सीधे ही स्वास्थ्य सेवाओं में अपनी सेवाऐं दे रहे हैं। ऐसे ही अकुषल और बिना अनुभव प्राप्त किये ही बने कर्मचारियों के कारण ही भ्रष्टाचार और लापरवाही की सबसे ज्यादा घटनाऐ लगातार सामने आ रही है। इसीको ध्यान रखते हुए जिला अस्पताल में भी संचालनालय के आदेष के आधार पर सीएमएचओे ने एक चार सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है।
जांच टीम पर उठेगंे सवाल:-  स्वास्थ्य विभाग ने जिस जांच टीम का गठन किया है, उसमें तीन चिकित्सा अधिकारियों के साथ एक सहायक ग्रेड 02 का कर्मचारी भी है। अब जिस जांच के लिए सूक्ष्म जांच करने के निर्देष और आदेष प्राप्त हुए हों। उसी जांच टीम के सदस्य ही वो कर्मचारी हो जिसकी भर्ती प्रक्रिया ही संदिग्ध हों। जांच टीम पर तो सवाल उठने लाजमी है। वह कर्मचारी कितनी जांच को सूक्ष्मता और निष्पच्छता पूर्वक करेगा। जांच टीम में तीन डाक्टरों के अलावा एक सदस्य वीरेन्द्र त्रिपाठी शामिल है। गौरतलब है कि सन् 2016 में तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सिंह ने वीरेन्द्र कुमार त्रिपाठी के खिलाफ उनकी भर्ती प्रक्रिया की जांच के लिए एक जांच टीम का गठन किया था।हांलाकि उनके जाने के बाद या उन्हीं के समय ही इस जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। लेकिन सवाल यह है कि जिस कर्मचारी के खिलाफ पहले ही ऐसी कोई जांच चल रही हो, वह किस मुंह से यूनिक एम्पलाई कोड की सूक्ष्म जांच करेगा। वो तो निष्चित ही चाहेगा कि ऐसी कोई भी जांच को सीधे तौर पर दबा दिया जाये, जिससे कोई विरोधी स्वर उठे ही नहीं। गौरतलब है कि उमरिया स्वास्थ्य सेवाओं में कम से कम तीन दर्जन के लगभग कर्मचारी हैं, जिनके उपर भर्ती प्रक्रिया के उल्लघंन के कभी ना कभी कोई जांच की गयी या आरोप लग चुके हैं। ऐसे में जांच टीम के संदिग्ध कर्मचारी कितनी निष्पच्छ जांच करेगा यह सवाल तो उठेगा ही।
इनका कहना है:-   रोज कोई ना केाई जांच टीम का गठन होता है, ऐसी कोई जानकारी मेरे पास नहीं है। जांच टीम के सदस्य के उपर कभी कोई आरोप लगे हों, इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है।
सीएमएचओ और सिविल सर्जन:- डा राजेष श्रीवास्तव उमरिया

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  1. सवालों के घेरे में जांच टीम

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