किसानों की समस्या का हो स्थायी हल

सेासायटी से ऋण लेने वाले किसानों का होगा कर्जा माफ
कार्मषियल बैंको से नहीं प्राप्त की जा रही जानकारी
किसानों की समस्या का हो स्थायी हल
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उमरिया:- नया जनादेष प्राप्त करने के बाद बन रही सरकार के सामने सबसे बडी मुसीबत और चुनौती किसानों का कर्जा माफ करने की होगी। कांग्रेस ने अपने चुनावी एजेंडे में किसानों के कर्ज माफी के लिए 10 दिन मांगे थे। अपनी सभाओं में उन्होंने किसानों के सभी प्रकार के कर्जाें को केवल 10 दिन में माफ करने की बात कही थी। लेकिन प्रषासनिक तंत्र अभी तक यही तय नहीं कर पा रहा है, किन किसानों के और कितने राषि तक ऋण माफ किया जायेगा। वहीं अभी तक केवल सोसायटियों से ऋण लेने वाले किसानों के कर्ज माफ करने के लिए प्रक्रिया शुरू की गयी है। अभीतक किसी भी कार्मषियल बैंकों के लिए ऋण माफी प्रक्रिया के तहत किसानेां की जानकारी प्रषासन के द्वारा नहीं ली जा रही है। ऐसे में वे किसान जिन्होंने कार्मषियल बैंक से ऋण लिया उन्हें या तो सब्र करना पडेगा, अथवा अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस करने के लिए मजबूर होना पडेगा। जब तक मुख्यमंत्री कमलनाथ शपथ ग्रहण नहीं कर लेते है, तब तक तो सभी किसान आषान्वित है, कि उनके सभी कर्जें माफ हो जायेगें। यहीं सोचकर सभी किसानों ने उन्हें वोट दिया भी है। किसानों की ऋण माफी के लिए सही स्पष्ट जानकारी तो प्रषासन के द्वारा दी ही जानी चाहिये कि कर्ज माफी के दायरे में कौनसे किसान आयेगें और किन किसानों को केवल सब्र करना पडेगा। जानकारी के अनुसार केवल सोसायटियों से बीज, खाद,जुताई आदि के लिए ऋण लेने वाले किसानेां की लिस्ट ही अभी मंगवायी जा रही है। इसमें यह पता नहीं चल रहा है कि कितने समय तक के किसानों का कर्ज माफी सरकार द्वारा की जा रही है।
कर्ज माफी नहीं है हल:- अभी किसानों की कर्जमाफी का कोई कारगार कदम उठा भी नहीं है, कई वर्गों के पेट में दर्द होना शुरू हो चुका है। उन्हें लगता है, कि उनके टैक्स को चुनावी हथकंडों के रूप में इस्तेमाल किया जा  रहा है, इससे किसान और कर्महीन और कौषल विहीन हो जायेगा। ऐसे वर्गों के लिए केवल यही सलाह है कि केवल एक दिन इस ठिठुरती ठंड में खेत में जाकर देखें कि खेत में पानी कैसे दिया जाता है। एक किसान अपनी सब जमा पूंजी लगाने के बाद जब परिणाम के रूप में उसे पाले, अकाल, सूखा या अतिवृष्टि से लेकर अन्य प्राकृतिक आपदाओं से जूझना पडता है, और उसे निराषा के अलावा कुछ भी हाथ नहीं लगता है। केवल किसान ही जान सकता है कि किसानों की क्या समस्याऐं होती हैं। किसान अन्नदाता है, वह कभी भी केवल कर्जमाफी के आस में कार्य नहीं करता है। वह तो केवल अपनी मेहनत करने के लिए फिर से मेहनत करने के लिए कभी -कभी कर्ज को माफ करवाने की आस करता है।


मनरेगा से सीधे किसानों से जोडने की मांग:-
 किसानों की कर्ज माफी किसानों की समस्याओं का पूरा हल कभी नहीं हो सकता। जागरूक नागरिक कई बार अपनी तरफ से समस्या समाधान के लिए मनरेगा को सीधे ही किसानों से जोडने की मांग कर चुके हैं। सभी जानते है कि लघु और सीमान्त किसानों की सबसे बडी समस्या मजदूरी का भुगतान करने की है। मंहगाई बढने के साथ- साथ लगातार मजदूरी दर बढती जा रही है। ऐसे में यदि मनरेगा के तहत किसानों के खेत में काम करने वाले किसानों को उनके मजदूरों की कीमत मिलने लग जायेगी, तो किसानों पर ऋण भार बढेगा ही नहीं। मोटे आकलन के अनुसार सीमान्त किसानों का रबी हो या खरीफ फसलों मेें किसानों की मजदूरी बजट ( निंदाई, गुडाई, जुताई, रखवाली , सिंचाई, फसल कटाई सहित अन्य छोटे-मोट कार्य जिनमें मजदूरों की जरूरत होती ही है) 40 से 50 प्रतिषत रहता है। ऐसे में सीमान्त किसान तो कभी भी किसी भी परिस्थिति में कर्ज के जाल से मुक्त हो ही नहीं सकेगा। ऐसे में कई खेती छोडने वाले सर्वे रिपोर्ट को सही माना जाये जिसमें बताया जाता है। प्रतिदिन हजारों किसान पूरे देष में खेती छोडकर अन्य कार्यों में करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इससे देष के सामने विकट स्थिति ही बढेगी, और बैरोजगारी भी बढती जायेगी। ऐसे में सीमान्त किसानों की समस्या का स्थायी हल तो किसानों को सीधे मनरेगा से जोडने के अलावा कुछ हो ही नहीं सकता।
इनका कहना है:- अभी तक किसी भी कार्मषियल बैंकों से किसानों के ऋण संबधित जानकारी की मांग के साथ किसानों की लिस्ट की मांग नहीं की गयी है। जानकारी के अनुसार केवल सोसायटियों से ऋण लेने वाले किसानों की जानकारी प्राप्त की जा रही है।
अरविंद गुप्ता: - मुख्य ब्रांच स्टेट बैंक मैनजेर , उमरिया

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