ईवीएम पर नहीं जनता पर करें भरोसा......!!!!!!!!!!!!!!!

अब तो हो ही गया, जनता की हुई जीत
आज है फैसला विधायक हमारे नेता
ईवीएम पर नहीं जनता पर करें भरोसा


उमरिया:- आज हो रहे फैसले से किसके सिर पर ताज सजेगा, और किसके सिर से ताज हटेगा का फैसला हो जायेगा। विपक्ष लगातार अभी तक ईवीएम मषीनों की गडबडी और स्ट्रांग रूम की सुरक्षा पर सवाल उठा रहा है। ऐसे में परिणाम कुछ भी हो, जनता किसका साथ दे रही है, यह कह पाना मुष्किल हो जायेगा। जनता ने किसे चुना इसकी जानकारी भी एक राज ही बनकर रह जायेगी। विपक्षी पार्टी कांग्रेस के द्वारा परिणाम आने के ठीक 36 घंटे पहले जिला कलेक्टर से स्ट्रांग रूम के सामने विद्युत बल्ब नहीं जलने के कारण हो रहे अंधकार को लेकर अपना विरोध जताया। हांलाकि कलेक्टर मालसिंह का स्पष्ट कहना था कि वहां पर किसी प्रकार की गडबडी नहीं है, केवल वहां के कर्मचारियों ने विद्युत बल्ब को आॅन ही नहीं किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब त्रिस्तरीय सुरक्षा कवच के बीच में ईवीएम मषीन रखी हुई हैं, तो डर किस बात का है। जनता के फैसले को कैसे समझा जायेगा। उसने किसे जिताया, लोकतंत्र की जीत कहां हुई। जहां तक जनता के मन को पढने का प्रष्न है वह चुनाव होने के बाद भी अपना मुंह खोलने से बच रहे है। जिन्हें आप अनपढ समझ रहे हैं, उनका उत्तर यह मिल रहा है, मैं इसमें वोट दिया, और मेरी घरवाली ने दूसरे को। ऐसे में एक्जिट पोल के साथ और तमाम कयासों पर कितना भरोसा किया जा सकता है। जिसकी जिसमें आस्था उसे ही विजयी बताने की कोषिष कर रहा है, और परिणाम आज सामने आ रहा है। जागरूक मतदाताओं का यह स्पष्ट कहना है कि यह परिवर्तन की लहर के साथ दौर चल रहा है। इसके कुल क्या मायने हैं, यह भी आज समझ में आयेगा।
नारी सम्मान को मिली सामजिक स्वीकार्यता:-
 मानुपर विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा के साथ बसपा से भी महिला प्रत्याषी है। सीधी जंग में जीते कोई भी लेकिन यह तय है कि महिलाओं के गौरव को जो सम्मान मिल रहा है, वो यहां की जनता की जीत का ही परिचायक है। यहां की जनता ने विगत तीन विधानसभा में मीनासिंह को विजय का आर्षीवाद दिया। अब कांग्रेस प्रत्याषी के रूप में मजबूती से अपना जौहर दिखा रही ज्ञानवती सिंह। बसपा प्रत्याषी रेखा कोल ने भी अपनी प्रभावषाली उपस्थिति को दर्ज कराया है। मुख्य रूप से भाजपा या कांग्रेस में से कोई भी प्रत्याषी जीतेगा, यह तय लग रहा है। विगत विधानसभा चुनाव की तुलना में जिस प्रकार से मतदाताओं ने बढचढ कर अपने प्रत्याषी के लिए वोट किया है। मानपुर क्षेत्र की जनता तो जीत गयी हो ही गयी उसने महिलाओं के सम्मान में किसी प्रकार की कोर कसर नहीं छोडी है। अपने मतदान का पूरा -पूरा उपयोग किया।
मतदाता जागरूकता पर उठेगें सवाल:-
जिला मुख्यालय की तुलना में वोटों का प्रतिषत जिले की सीमावर्ती गावों में ज्यादा देखने को मिला। जिला मुख्यालय में लगातार मतदाताओं को मतदान करने के लिए आकृर्षित किया गया, लेकिन उसका नतीजा यदि विगत चुनाव मतदान के रूप में करेगें तो निराषा ही हाथ लगेगी। जबकि जिला मुख्यालय से 60 से 70 किलोमीटर दूर के मतदान केंद्रों में लगभग सभी स्थानों पर 80 प्रतिषत से ज्यादा मतदान हुआ है। ऐसे में यह सवाल भी उठेगा कि मतदाताओं को जागरूक करने के लिए केवल जिला मुख्यालय में ही पहल की गयी है, उसका क्या औचित्य साबित हुआ। मतदान कराने वाले कर्मचारियों की बात या राय को माना जाये तो जिले में अभी 25 से 30 प्रतिषत से ज्यादा मतदाताओं को यह पता नहीं था कि उन्हें किस बटन को दबाना है। इसका सीधा मतलब भी केवल यही है कि मतदान बढाना है, तो षिक्षा के स्तर को सुधारना होगा, तभी वास्तविक रूप से मतदान बढेगा।

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